मनोबल कम न हो
जीवन की जितनी अनिवार्य आवश्यकताएं है, वेवास्तविक समस्याएं हैं। कुछ समस्याएं हमारी काल्पनिक भी हैं। काल्पनिक समस्याएं भी कम भयंकर नहीं होती। वास्तविक समस्याएं बहुत थोड़ी है, गिनी-चुनी। किन्तु काल्पनिक समस्याओं का कहीं अंत नहीं है। इतनी जटिल समस्याएं जो प्रतिदिन हमारे सामने उभरती हैं। किस प्रकार काल्पनिक समस्याएं मनुष्य को सताती हैं, इसका एक उदाहरण है...
को सताती हैं, इसका एक उदाहरण है... दोयात्री आमने सामने ट्रेन में बैठे थे।ट्रेन में लड़ाई हो गई।लड़ाई का कारण, एकसमस्या समस्या काल्पनिक, केवलकाल्पनिकाएककहता है मुझे ठंडलग रही है और दूसरा कहता है मुझे गर्मी लग रही है। एक उठता है, खिड़की को बंद कर देता है। दूसरा उठता है खिड़की को खोल देता है। टी.टी. आवा, यह अभिनय देखा और बोला, 'क्या तमाशा हो रहा है रेल में! चलती गाड़ी में क्या खेल खेला जा रहा है!' एक ने कहा, 'हवा बहुत तेज चल रही है, मुझे ठंड लग रही है।
दूसरा कहता है, खिड़की बन्द हो जाती है, मुझे बहुत गर्मी लग रही है, परेशान हो रहा है। टी.टी. गवा खिड़की के पास और जाकर देखा तो खिड़की का प्रेम तो है, लेकिन शीशा है ही नहीं। अब कैसे हवा लग रही है और कैसे गर्मी लग रही है? मात्र काल्पनिक समस्या। हमारी दोनों प्रकार की समस्याएं है-काल्पनिक समस्याएं और यथार्थ समस्याएं। वे हमारे मनोबल को कमजोर करती हैं। जिस व्यक्ति का मनोबल कम होता है, वह व्यक्ति इस दुनिया में अपराधी का जीवन जीता है। दुर्बलता खुद एक अपराध है।