भारत को जागृत किया गुरुनानक देव जी नेः कमल नाथ

भारत को जागृत किया गुरुनानक देव जी नेः कमल नाथ


गुरुनानक देव जी मानक्या में विश्वास रखने वालों उऔर निःस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा में समर्पित लोगों के लिए अनन्य प्रेरणा स्रोत रहे हैं। हम इस महान संत की 550वीं जयंती मनाते हुए आध्यात्मिक रूप से स्वयं को धन्य समझते हैं। नानक शाह फकीर जी की शिक्षाएं आज और भी ज्यादा प्रासगिक हो गई हैं क्योंकि मनुष्य स्वरचित दुखों का सामना कर रहा है। सामाजिक, सांस्कृतिक एकता की भावना को खारों का सामना करना पड़ रहा है और मानवीय मूल्यों में मनुष्य का विश्वास बुरी तरह डगमगा गया है। वर्षों पहले गुरुनानकदेवजी ने इस तरह की स्थितियों की चेतावनी दी थी और सुधारवादी कदम भी सुझाए थे। भारत के गौरवान्वित नागरिकों के रूप में हम गुरु नानक देव जी को अपने मार्गदर्शक और दार्शनिक के रूप में पाकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं। आज, जब दुनिया में सांस्कृतिक विविधता के लिए नापाक ताकतों और कदरपंथी सोच ने खतरे पैदा किए है, हम अपने मार्गदर्शक के रूप में गुरु नानक देवजी की बानी पाकर धन्य हैं। वे सिर्फ सिख समुदाय के गुरु नहीं हैं। वे मानवता के महान आध्यात्मिक शिक्षक हैं क्योंकिवेमन भारत को जागृत


और हृदय के विकारों से मुक्ति पर जोर देते हैं। गुरुनानक देवजी सामाजिक धार्मिक और सांस्कृतिक सद्भाव के प्रतीक हैं। गुरुनानकदेवजी और भाई मरदाना का साथ एक अनूठा उदाहरण है। यह सांस्कृतिक एकता को रेखांकित करता है। दो महान पुण्यात्माएं परस्पर आध्यात्मिक गहराई से एकाकार थी। भाई मरदाना गुरुजी से 10 सालबड़े थे और अपने अंतिम समय तक उनके साथ रहे। उन्होंने निरंकार की महिमा का गायन करते हुए दो दशकों तक एक साथ आध्यात्मिक यात्रा की। गुरुनानक देव जी गाते थे और भाई ब्लॉग मरदाना उनके साथ रबाब पर संगत करते थे। वे विलक्षण स्वाब वादक थे। यहां तक कि उन्होंने इसे छह-तार वाला यंत्र बनाकर इसमें सुधार किया। उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। संगीतका उनका ज्ञान श्री गुरु ग्रंथ साहिब में स्पष्ट झलकता है। उसे विभिन्न रागों में निबद्ध किया गया है।भाई मरदाना का उल्लेख श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी है। भाई गुरुदासजीने लिखा है


इक बाबा अकाल रूप दूजा रबाबी मरदाना।


दुनिया को यह जानने की जरूरत है कि- आदि सच, जुगादि सच, हे भी सच, नानक होसी भी सच। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि ईश्वर एक परम सत्य, सर्वव्यापी है। सिवाय उसके कुछ भी वास्तविक नहीं है। वह सर्वकालिक है। अनन्त था अनन्त रहेगा। ज्ञान के ऐसे शब्दों से गुरु नानक देव जी ने भारत के लोगों को जागृत किया। उर्दू के दार्शनिक कवि अल्लामा इकबाल ने कहा है ब्लॉग फिर उठी आखिर सदा चौहीद की पंजाब से, हिंदको एक मर्द-ए-कामिलने जगावा ख्वाब से (एक बार फिर पंजाब से एक दिन आवाज उठी जिसने उद्घोष किया कि ईश्वर एकहे।एक सिद्ध पुरुष गुरुनानकदेवजी ने भारत को जगाया।) गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना ने कीर्तन की परंपरा शुरू की,जो आध्यात्मिकजागृतिका माध्यम साबित हुई है।समानता के विचार को प्रदर्शित करने के लिए, उन्होंने लंगर के आयोजन की परंपरा शुरू की। वर्षों बाद हम


समझ पाए हैं कि यह एक क्रांतिकारी धार्मिक सुधारवादी कदम था। गुरु नानक देव जी ने भारत को आध्यात्मिक पव्यता दी। उन्होंने कहा कि आंतरिक जागृति ही मूल्यवान वस्तु है। उन्होंने घोषणा की कि सभी समान है और सभी दिव्य ऊर्जा से भरपूर है। अपनी आध्यात्मिक यात्राओं के माध्यम से गुरुनानकदेवजी ने भारत को जागृत किया और इसकी महिमा को ऊंचाइयां दी। गुरु नानक देव जी ने जो उपदेश दिया उसका पालन किया। उन्होंने अपने बोले प्रत्येक शब्द को आत्मसात किया और सामाजिक सुधार लाए। मानवता की मलाई के लिए हमारे पास उनके दर्शन की सबसे अच्छी सीख हैं। उन्होंने कहा- हमेशा सच्चाई के पक्ष में रहें और मानवता की सेवा के लिए तैयार रहें। हमेशा पांच बुराइयों को दूर करें- काम, क्रोध, लोभ, मोह,अहंकार। गुरु ज्ञान का सच्चा स्रोत होते हैं। गुरु पर विश्वास रखें। आइए हम अपने दैनिक जीवन में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं, वैश्विक भाईचारे व सांस्कृतिक अखंडता को मजबूत करने के लिए सदैव तैयार रहें।