21 दिन का लॉक डाउन : किसानों की बढ़ी समस्या

लोग घबराए नहीं बल्कि सहयोग करें यह मुसीवत किसी एक क्षेत्र या लोगों की नहीं है। सब इससे प्रभावित है। कोई ज्यादातो कोई कम पर लॉक डाउन का असर सभी पर है। ऐसे में शहर के पढ़े-लिखे लोगों की यह बड़ी जिम्मेवारी है कि वे संयम और सहयोग से उन लोगों का हौसला बढ़ाए जो विकल्पहीन स्थिति में है। विशेषकर ग्रामीण आदिवासी बेल्ट के लोगों को देखें कि वे इससे आयधिक प्रभावित हो रहे हैं। लोकदेश संघाददाता चैताल करें। फिलाहल सबसे ज्यादा संकट हार्वेस्टरकहा बैतूल जिले में वर्तमान समय में जो में किसान है उसके पास अपनी से जिले में आएंगे स्थितियां हैं उसमें कई तरह की खड़ी फसल को बचाने का तनाव समस्याएं खड़ी नजर आ रही हैं। है। प्रशासन ने विकल्प के लिए जिले में फसल कटाई में हार्वेस्टर काकल्चर नहीं है। इसके दो कारण चूकि मुसीबत को लेकर पहले से शासन के आदेश को ओपन तो कर कोई भी अलर्ट नहीं था, इसलिए दिए पर जमीनी स्तर पर इन आदेश है। पहला यह कि यहा खेत बेटी जोत वाले हैं और मजदुर पर्याप्त विकल्प भी सीमित हैं। अब जब 21 के एकदम फॉलो होने की संभावना उपलब्ध है। दूसरा यह कि यहाँ दिनकालाकडाउन प्रभावी हो चुका कम है, वजाह संसाधन की कमी। किसान पशुपालक भी है इसलिएवह तो ऐसे में हर व्यक्ति को अपनी अभी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि भूसे के लिए हाथ कटाई को जरूरत ज्यादा बड़ी नजर आ रही बिना लॉकडाउन के उद्देश्य को प्राथमिकता देता है। ऐसे में कटाई के पर ऐसा है नहीं। सब की जरूरत प्रभावित किए किसानों की फसल लिए हार्वेस्टर की उपलब्धता ही बड़ी है और सबको मदद की को कैसे बचाया जा सके। किसानों मुश्किल है। पूरे जिले में बन्द ही जरूरत है। इसलिए संयम रखना के लिए आफत यह है कि कटाई या हार्वेस्टर है और राजस्थान या बाहर और प्रशासनजोलवस्था बना रहा, श्रेसिंग मशीन या ट्रेक्टर जैसे के किराए वाले बैतूल आते नहीं। उसे में सहयोग करना ही अभी उपकरण से वह कोई प्रयास करेगा जबकि पड़ोसी जिलेहोशंगाबाद और सबसे बड़ी जरूरत है। प्रशासन के वो भी उन उपकरणों के मेंटनेंस की हवा में यह दिक्कत नहीं क्योंकि पास भी विकल्प सीमित है और व्यवस्था नहीं क्योकि नट बोल्ट से वहां की खेती के कल्चर में हार्वेस्टर अपेक्षा ज्यादा है तोबेहतर यह है कि लेकर रस्सी तक का कोई विकल्प आम है और आसानी से उपलब्ध हो हड़बड़ाने की जगह थोड़ा इंतजार नहीं है। करवट लेता मौसम भी आफत बन रहा... किसानों को उगाव यह है कि फसल पक चुकी है खेत में खड़ी है याकटकर पड़ी है। ऐसे में मौसम सब किए कराए पर पानी फेर सकता है।खरीफ सीजन में मवका और सोयाबीन चौपट हो चुकी ऐसे में रखीकी यह फालही उम्मीद है। इसलिए वह वर्ग ज्याच विचा में है। उसके पास भी इंतजार काही विकल्प है। वयोकि कटाई. दावन, सिंग किसी सरकारी आदेश या घोषणा से झटपट होने वाला काम नहीं। हेल्पलाईन नम्बर रखें और सबको उपलब्ध करवाएँ यदि आप इस वैर में कुछ कर सकते है तो वो यह है कि सारे हेल्पलाइन नम्बर अपने पास रखें और जिनके पास नहीं हैं उन्हें उपलब्ध कराएँ। जिससे कि किसी भी संकट या परेशानी में इन हेल्पलाईन नम्बरों का सदुपयोग हो सके। वर्तमान में अलगअलग तरह के हेल्पलाइन नम्बरही सबसे ज्यादा काम की बीज हैं।स्वास्थ्य सेवारोतेकरजरूरतकी वस्तूतकविकल्पझहेल्प लाईनानम्बरों से ही आसान होगा।