सवालदेशकीछविका.

(तनवीर जाफरी) पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? आज संयुक्त राष्ट चीफ मिनिस्टर के लिए मेरा एकही सन्देश संघ के साथ साथ दुनिया के कई देश भारत है कि वह राजधर्म का पालन करें,। राजधर्म। सरकार की आलोचना करते देखे जा रहे हैं। राजा के लिए,शासक के लिए प्रजा प्रजा में भेद पिछले दिनों बांग्लादेश में एक बड़ा विरोध नहीं हो सकता न जन्म के आधार पर न जाति प्रदर्शन हुआ जिसमें प्रदर्शनकारी बांग्लादेश के आधार पर,न सम्प्रदाय के आधार पर सरकार से यह मांग करते दिखाई दिए कि यह शिक्षा अहमदाबाद में हए फरवरी-मार्च आगामी 17 मार्च को बंग बंधु शेख 2002 के दौरान गुजरात में भड़कीमुजीबुर्रहमान की 100 वीं जन्मतिथि के साम्प्रदायिक हिंसा के सन्दर्भ में 2002 में अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया गया तत्कालीन स्वक्ष प्रधानमंत्री अटल बिहारी निमंत्रण वापिस लिया जाए। संयुक्त राष्ट वाजपेई ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री महासचिव एंटोनियो गुटेरस जोकि अपने पूरे नरेंद्र मोदी की तरफ़ संकेत करते हुए एक जीवन में महासचिव महात्मा गांधी के विचारों संवाददाता सम्मलेन के दौरान दी थी। से काफी प्रभावित रहे हैं, ने दिल्ली में हुई हिंसा मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी उस संवाददाता पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि भारत को सम्मलेन में मौजूद थे तथा वाजपेई द्वारा दी जा महात्मा गांधी के विचारों की पहले से कहीं रही इस सीख के दौरान ही मोदी ने कहा कि था अधिक ज़रूरत है क्योंकि यह समुदायों के कि-हम भी वही कर रहे हैं साहब। वाजपई जी बीच सही मायने में मेल-मिलाप की ने अपनी विदेशयात्रा शुरू करने से पूर्व यहभी परिस्थितियां पैदा करने के लिए अनिवार्य है। कहा था कि- मैं दुनिया को क्या मुंह अमरीकी सीनेटर तथा इसी वर्ष होने वाले दिखाऊंगा।अब इसे संयोग कैसे कहा जाए कि राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की आजएकबार फिर वही नरेंद्र मोदी जब देश के उम्मीदवारी में सबसे आगे चल रहे बर्नी सैंडर्स प्रधानमंत्री की कुर्सी पर सुशोभित हैं उस समय ने भी दिल्ली हिंसा की आलोचना की है। सैंडर्स राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनः उन्हीं को ने कहा कि 20 करोड़ से ज्यादा मुसलमान राजधर्म का पालन करने की सीख दी जा रही भारत को अपना घर मानते हैं. मुस्लिम विरोधी है। राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों छिड़ी भीड़ने कम से कम 27 लोगों की जान ले ली साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान अब तक 40 से और कई लोग घायल हुए। मानवाधिकार के अधिक लोग देशवासी अपनी जानें गँवा चके मद्दे पर ये नेतत्व की नाकामी है.अमरीकी हैं। परन्तु केंद्र सरकार के जिम्मेदारों की तरफ एजेंसी यनाइटेड स्टेटस कमीशन ऑन से जो गैर जिम्मेदाराना बल्कि पक्षपातपूर्ण इंटरनेशनल रीलिजयस फ्रीडम ने दिल्ली हिंसा रवैय्या अपनाया जा रहा है उसे देखकर पूरी की निंदा करते हुए कहा, किसी भी जिम्मेदार दुनिया स्तब्ध है। जो भारतवर्ष एकता में सरकार की जिम्मेदारियों में एक काम ये भी है अनेकताको लेकर पूरी दुनिया में अपनी सबसे किवो अपने नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराए. अलगव अनूठी पहचान रखता था आज भारत हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वो की वही पहचान धूमिल होने की कगार पर है। भीड़ की हिंसा का निशाना बनाए जा रहे अभी जबकि दंगे में मारे गए लोगों की चिताएं मसलमानों और अन्य लोगों की सरक्षा में भी ठंडी नहीं हुई हैं,उनकी कब्रों की मिटटी भी गंभीर कदम उठाए. इस्लामी देशों के संगठन अभी सुखी नहीं है कि दंगा पीड़ित परिवारों से आईओसी ने भी भारत से कार्रवाई की मांग की न्याय की आस रखने के बजाए यह समझाया है. आईओसी की तरफ से जारी बयान में कहा जा रहा है कि -जो हो गया सो हो गया। हू-बहू गया है, आईओसी भारत से ये अपील करता है यही शब्द गत वर्ष चुनाव के दौरान गुजरात में कि वो मुस्लिम विरोधी हिंसा को अंजाम देने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा द्वारा 1984 के सिख वाले लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा करे विरोधी दंगों को संदर्भित कर बोले गए थे। उस और अपने मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित समय इन्हीं भाजपाई नेताओं ने सैम पित्रोदा पर करे. संयुक्त राष्ट मानवाधिकार परिषद प्रमुख बड़ा हमला बोला था। आखिर यह कैसा मिशेल बाचेलेत जेरिया ने भारत में नागरिकता मापदंड है कि सैम पित्रोदा ने जो बोला वह संशोधन कानन और सांप्रदायिक हिंसा को गलत और अभी दिल्ली में पीडित परिवारों के लेकर चिंता जताई है। विदेशी मीडिया में भी आंसू भी नहीं सूखे तो उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा दिल्ली हिंसा को लेकर मोदी सरकार की सलाहकार अजित डोभाल द्वारा यही समझायाजबरदस्त आलोचना की जा रही है। न्यूयार्क गया कि जो हुआ सो हुआ? टाइम्स ने लिखा है, सरकार ने जम्मू-कश्मीर यदि आज यह मान भी लिया जाए कि केपर्णराज्यका दर्जा निरस्त कर दिया. वहां के सत्ता की ओर से इस बात की कोई चिंता नहीं मुस्लिम नेताओं को जेल में बंद कर दिया है. कि देश में उनका कितना और किस स्तर पर इसके बाद एककानुनलेकर आई जिसमें गैरविरोध हो रहा है। यह भी कि भाजपा पर्ण मुस्लिम बाहरी लोगों को नागरिकता देने का बहमत के नशे में चर होकर अपने हिंदवादी प्रावधान किया गया. सीएनएन ने कहा है कि एजेंडे को देश पर थोपने की गरज से ही सारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिकता संबंधी कदम उठा रही है। और यह भी कि भाजपा व कानून को आगे बढ़ान से ये हिंसा हुई है. उससे जुड़े अनेक हिंदूवादी संगठन एकजुट सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा, डोनाल्डट्रंप होकर केंद्र सरकार के पूर्ण बहुमत के होते हुए के राजकीय दौर में उम्मीद की जा रही थी कि हर वह काम करना चाह रहे हैं जिससे उनकी भारत वैश्विक स्तर पर अपने प्रभुत्वका प्रदर्शन हिंदूवादी राजनीति और अधिक परवान चढ़ करेगा. लेकिन इसकी जगह उसने महीनों से सकें। परन्त उनके इस एक सत्रीय एजेंडे का चले रहे धार्मिक तनाव की तस्वीर पेश की. दूसरा महत्वपूर्ण पहलू भी नज़रअंदाज़ नहीं वाशिंगटन पोस्ट में दिल्ली की हिंसा पर छपी किया जा सकता। और वो यह कि इसका रिपोर्ट में कहा गया है, नरेंद्र मोदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव इस देश पर क्या पड़रहा है। माना कि कैरियर में यह दूसरा मौका है जब बड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके परम सहयोगी सांप्रदायिक हिंसा के दौरान वे शासनाध्यक्ष हैं. गृहमंत्री अमित शाह इस समय भारत के कट्टर गुजरात में 2002 की सांप्रदायिक हिंसा के हिंदूवादी विचारधारा रखने वाले लोगों के लिए दौरान मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. गार्डियन ने एक बहुत बड़े नायक बन चुके हैं परन्तु उनके अपने एक संपादकीय में नरेंद्र मोदी की हिन्दू हृदय सम्राट बनने का इस देश की छवि आलोचना करते हुए लिखा है।