मेलबर्न, एजेंसी। जरिये कोरोना जैसी महामारियों इस समय पूरी दुनिया कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच करना से जूझ रही है। वैज्ञानिक इससे आसान हो जाएगा। ऑस्ट्रेलिया निपटने के लिए प्रयोगशालाओं में की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी दिन-रात एक किए हुए हैं। लेकिन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी तक यह भी नहीं पता चल आमतौर पर माना जाता है प्रत्येक पाया है कि आखिरकार यह प्रकोप मूल रूप से प्राकृतिक होता महामारी फैली कैसे क्या यह है। इसके जोखिमों की उत्पत्ति का प्राकतिक कारणों से उपजी है या आकलन करते समय अप्राकतिक मानव निर्मित है इन सवालों के कारणों को शामिल नहीं किया जवाब अभी तक तो भविष्य के जाता। इसका सबसे बड़ा गर्त में ही हैं। नुकसान यह हो सकता हमें लेकिन अब शोधकर्ताओं ने भविष्य में किसी अन्य महामारी ऐसी महामारी फैलने के लिए का करना पड़े। इसीलिए समय जिम्मेदार कारकों की पहचान बदलने के साथ-साथ हमें किसी करने के लिए एक नया उपकरण भी महामारी के फैलने पर इसके विकसित किया है, जो यह बता अप्राकृतिक कारणों पर भी गौर सकता है कि महामारी प्राकृतिक है करना चाहिए ताकि भावी पीढ़ियों या मानव निर्मित। शोधकर्ताओं को जान के जोखिमसे बचाया जा का कहना है कि नए उपकरण के सके। रिस्क एनालिसिस नामक आंतकवादियों द्वारा किए गए कि नया एमजीएफटी उपकरण बायोलॉजिकल (जैविक) हमले जैविक एजेंट के विशेष पहलुओं के परिणाम तो नहीं है। उन्होंने कहा का विश्लेषण करता है। यह रोग के कि नए उपकरण में ऐसी क्षमता है भौगोलिक वितरण की खासियत कि यह इस बात की भी तस्दीक की भी जांच करता है। उन्होंने कहा कर सकता है कि क्या रोगजनक कि यदि किसी क्षेत्र में रोग की जीव (पैथोजंस) असामान्य, पहचान पहली बार या फिर लंबे दुर्लभ और नई समस्या तो नहीं हैं समय के बाद की जाती है तो यह या इन्हें सिंथेटिक जैव प्रौद्योगिकी महामारी विज्ञान के दृष्टिकोण से द्वारा जीन एडिटकरके तैयार किया असामान्य है। अध्ययन के गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अनुसार, नया उपकरण यह भी प्रयोगशालाओं में विकसित किए आकलन करता है कि जैविक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में के लिए भी किया गया था। गए पैथोजंस पौरुष शक्ति बढ़ाने के एजेंट कृत्रिम रूप से जारी किया कहा गया है कि महामारी के शोधकर्ताओं ने कहा कि इस साथ-साथ, असामान्य गया है या नहीं। ऐसे मामलों में कारकों का पता लगाने के लिए उपकरण में यह निर्धारित करने के पर्यावरणीय स्थिरता पैदा कर वैज्ञानिकों ने कहा कि एजेंट बड़े शोधकर्ताओं ने जीएफटी नामक लिए 11 मानदंड हैं कि क्या सकते हैं। इसके अलावा ऐसे क्षेत्र में हवा, मिट्टी और पीने या एक मूल्यांकन उपकरण को महामारी का प्रकोप अप्राकृतिक विषाणुओं का सामान्यत- कोई सतहके पानी में असामान्य रूपसे मोडिफाइड कर एमजीएफटी का है या प्राकृतिक। यह इस बात इलाज उपलब्ध नहीं हो पाता और उच्च सांद्रता में पाया जा सकता है बनाया। जीएफटी का प्रयोग का भी पता लगा सकता है कि इनकी पहचान करना भी मुश्किल और धीरे-धीरे संक्रामक बीमारी पिछले प्रकोपों का मूल्यांकन करने महामारी राजनीतिक या हो जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा का रूप ले लेता है।
महामारीप्राकतिकहैया मानवनिर्मित बताएगा नया उपकरण