कोरोना संक्रमण की चेन ब्रेक करने पूरा भोपाल रहा बंद, अब लॉकडाउन में भी ऐसे ही जज्बे की जरूरत

कानून व्यवस्था के लिए लगने वाला कर्फ्यू हो या राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले बंद, कभी भी शहर में ऐसा सन्नाटा नहीं रहा, जैसा रविवार को कोरोना के खिलाफ जंग के लिए लगे जनता कर्फ्यू  में देखा गया। क्या सड़कें, क्या पार्क, क्या मोहल्ले, क्या स्टेशन और बस स्टैंड हर जगह सुनसान थी। दूध और दवा की दुकानें ही खुली रहीं। हालांकि लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए शहर में 31 मार्च तक लॉक डाउन कर दिया गया है। ऐसे में जिम्मेदारी और बढ़ गई है। हालांकि इस दौरान सारी इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी। डॉक्टरों का कहना है कि शहर में पॉजीटिव मरीज मिलने पर लोगों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है। साेशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भीड़ में जाने से बचें और अपने पर्सनल हाइजीन का ख्याल रखें।


राजधानी में एक दिन में औसतन 285 मेगावाॅट घरेलू बिजली खपत हाेती है। रविवार काे यह अांकड़ा 300 मेगावाॅट तक पहुंच गया। यानी यूनिट में 1.5 लाख का यूनिट बिजली खपत ज्यादा हुई।प्रदूषण घटा..  शहर में कुल 17 लाख वाहन हैं। इनमें से आधा फीसदी भी सड़क पर नहीं उतरे। इसके चलते पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों ही तय मानकों से कम दर्ज किए गए। दूध .. रविवार काे सुबह सांची दूध की खपत 3.48 लाख लीटर हुई यानी रोज के मुकाबले 26 हजार लीटर ज्यादा। शाम काे 1 लाख की जगह सिर्फ 6 हजार लीटर दूध की खप सका। कचरा.. नगर निगम के छह ट्रांसफर स्टेशन और आदमपुर छावनी स्थित खंती पर रोजाना लगभग 850 टन कचरा पहुंचता है। लेकिन रविवार को यह मात्रा 600 टन रही। बाजार बंद, शराब दुकानें खुली रहीं... सुबह 8 बजे से ही शहर के लगभग सभी इलाकों में शराब की दुकानें खुली रहीं।