मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से अपेक्षा की है कि जब तक उनके (एनपी प्रजापति) खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में निर्णय नहीं लिया जाता है, तब तक वे संविधान, विधानसभा नियमावली एवं नैतिकता के आधार पर प्रत्येक विषय की वैधानिक स्थिति का परीक्षण कर काम करें। राज्यपाल टंडन ने विधानसभा सचिवालय के संबंध में राजभवन को 20 और 21 मार्च को प्राप्त पत्रों के संदर्भ में शनिवार को देर रात एक पत्र लिखा है। असल में, भाजपा के ब्यौहारी विधायक शरद कोल के इस्तीफे को लेकर विवाद चल रहा है। स्पीकर ने 20 मार्च को मीडिया को जानकारी दी कि उन्होंने भाजपा विधायक शरद कोल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसके बाद भाजपा ने राज्यपाल से कोल पर दबाव डालने की बात कही थी।
राज्यपाल ने उन्हें मिले पत्रों का संदर्भ देते हुए कहा है कि उनके (अध्यक्ष के) खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा सचिवालय में लंबित है। प्रस्ताव पर कार्यवाही विधायिका का कार्य है, इसलिए सदन की बैठक आहूत होने पर इस प्रस्ताव पर प्राथमिकता से आवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए। तब तक विधानसभा के प्रमुख सचिव, अध्यक्ष के निर्देशानुसार प्रतिदिन के सामान्य काम ही करेंगे।
भाजपा ने स्पीकर पर लगाया पक्षपात करने का आरोप
इसके पहले शनिवार को देर शाम पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अध्यक्ष प्रजापति पक्षपातपूर्ण व्यवहार करते हुए भाजपा के विधायक शरद कौल से दबाव में लिखवाया गया त्यागपत्र स्वीकार करने का दबाव विधानसभा के अधिकारियों पर डाल रहे हैं। जबकि कौल ने उनका त्यागपत्र स्वीकार होने के पहले 16 मार्च को कथित त्यागपत्र को स्वीकार नहीं करने का अनुरोध विधानसभा सचिवालय से किया था।
'राजनैतिक भावना से ग्रस्त होकर निर्णय लिए जा रहे'
राज्यपाल ने अध्यक्ष प्रजापति को पत्र में लिखा है 'मुझे नेता प्रतिपक्ष से 21 मार्च को एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में ना तो सदन में नेता है और ना ही सदन कार्यशील है। ऐसी स्थिति में जब सदन प्रसुप्त (स्लीपिंग) अवस्था में है तो अध्यक्ष द्वारा नीतिगत निर्णय नहीं लिए जाना चाहिए, जिनसे किसी का हित अथवा अहित हो। परंतु प्रतिदिन राजनैतिक भावना से ग्रसित निर्णय लिए जा रहे हैं, जो सामान्यजन के हितों को विपरीत रूप से प्रभावित कर रहे हैं। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि विधानसभा सचिवालय में विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।'
'इस्तीफा वापस लेने के बाद भी उसे स्वीकार करना अवैधानिक'
टंडन ने प्रजापति को लिखा है 'एक अन्य पत्र दिनांक 20 मार्च में अनेक तथ्यों का उल्लेख करते हुए यह व्यक्त किया गया है कि भाजपा के विधायक शरद कौल द्वारा प्रस्तुत त्यापगत्र स्वीकार होने के पूर्व विधानसभा नियमावली के अनुसार त्यागपत्र वापस लिए जाने के उपरांत भी उनके त्यागपत्र को स्वीकार करने की अवैधानिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इसी पत्र में निवेदन किया गया है कि भारत के संविधान के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाए, जिससे संवैधानिक मूल्यों एवं प्रजातांत्रिक मान्यताओं का पालन सुनिश्चित हो।'