सबसे बड़े संकट का मुकाबला बिला

हालांकि कई देशों के वैज्ञानिक कोरोना जहां आबादी भी बहुत कम है, वहां मौतों का वायरस को आइसोलेट कर उसे विश्व में कोरोना वायरस के संक्रमण की आंकड़ा चीन को भी पार कर गया है। स्पष्ट है निष्प्रभावी करने वाला टीका तैयार करने में भयावहता बढ़ती ही जा रही है। भारत समेत पूरी कि हम अपनी दिनचर्या पहले जैसी हर्गिज जुट गए हैं, लेकिन उसकी उपलब्धता में एक दुनिया के लोग भविष्य को लेकर आशकित हैं, नहीं रख सको। हर किसी की यह भी साल तक का समय लग सकता है। तब तक वयोंकि इस वायरस के संक्रमण का शिकार होने जिम्मेदारी है कि वह अपनी सेहत के प्रति देर हो चुकी होगी, क्योंकि कोरोना वायरस वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कुछ दिनों सतर्क रहे और यह ध्यान रखे कि कोरोना तेजी से फैल रहा है। चिंता की बात यह है कि वावरससेवेलोग आसानी से संक्रमित हो जा पहले तक जो बीमारी चीन, ईरान और इटली के खारा सामने दिखने के बाद भी तमाम लोग रहे हैं, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है। जरूरी सतर्कता का परिचय देने से इन्कार कर साथ चंद अन्य देशों में सीमित दिख रही थी, एक बड़ी कठिनाई यह भी है कि रहे हैं। ऐसा करके वे अपने साथ-साथ दूसरों उसने देखते ही देखते महामारी का रूप धारण आर्थिक व्यावसायिक गतिविधियां थम-सी के लिए भी खारा पैदा कर रहे हैं। कर 180 से अधिक देशों को अपनी चपेट में ले जाने से दिहाड़ी मजदूरों और निर्धन तबके के कोरोना वायरस से संक्रमित लोग तब लिया है। जहां ढाई लाख से अधिक लोग अन्य लोगों को राहत केसे दी जाए? यह लापरवाही बरत रहे हैं, जब प्रत्येक स्तर पर संक्रमण का शिकार हो चुके हैं, वहीं 11 हजार से अच्छा है कि इस दिशा में उत्तर प्रदेश समेत बार-बार दोहराया जा रहा कि हर कोई और कुछ और राज्य सरकारों ने कदम उठाने शुरू खासकर विदेश यात्रा से लोटे लोग अपनेको अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कर दिए हैं, लेकिन उन पर और गंभीरता आइसोलेट करें और संक्रमण के लक्षण दिखाने की जरूरत है,क्योकियहीवहतबका दिखने पर तुरंत स्वास्थ्य कर्मियों से संपर्क विभि-हिस्सों में विदेश से लौटेकई ऐसे लोग और खास को यह समझना ही होगा कि यह की। लोगों को यह समझना होगा कि भारत है, जिसे सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ करें। ऐसे जरूरी निदेर्शों की अनदेखी किस सामने आ रहे हैं, जो या तो तय जांच प्रक्रिया अकेले सरकार की नहीं, पूरे देश की लड़ाई हे विशाल आबादी वाला देश है और हमारा रही है। तरह संकटको बढ़ाने और हालातको बेकाबू से गुजरने से इन्कार कर रहे हैं या फिर खुद और इसमें हर किसी का सहयोग चाहिए। स्वास्थ्य ढांचा ऐसा नहीं कि इतनी बड़ी निःसंदिह सेहत के संकट के साथ करने का काम कर रही है, इसका पता मशहूर को अलग-थलग करने के बजाय इधर-उधर यह सही है कि अभी अपने देश में आपदा का सामना कर सके। यदि हालात अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बढ़ता जा रहा गायिका कनिका कपूर के कारनामे से चलता धूम रहे हैं। कुछचो ऐसे भी है, जो अस्पताल कोरोना वायरस के संक्रमण के व्यापक बिगड़े तो उन्हें संभालना कठिन हो सकता है। है। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। वह पिछले हफो लंदन से मुंबई होते हुए से भाग जा रहे या फिर वहां विशिष्ट व्यक्तियों फैलाव के संकेत नहीं दिख रहे हैं, लेकिन हालात बेकाबू न होने पाएं. इसकी चिंता हर है। अगर यह महामारी एक-दो माह में लखनऊ अपने घर आई। उन्होंने खुद को वाली सुविधाएं चाह रहे हैं। इसका खतरा हर दिन बढ़ता जा रहा है। किसी को करनी होगी। नियत्रित नहीं हुई, तो दुनिया मंदी की चपेट में अलग-थलग करने के बजाय पार्टियों में ऐसा करके वे संकट को बढ़ाने का ही संक्रमित लोगों की संखा में वृद्धिकोई अच्छा यह समय संयम और अनुशासन का आ सकती है। कुछ आर्थिक विशेषज्ञों के जाना शुरूकर दिया। वह तीन-चार दिन ऐसा काम कर रहे हैं। इनसे सख्ती से निपटने और सकता नहीं। संक्रमण के खतरे को कम करने परिचय देने का है, न कि सरकारी तंत्र की अनुसार यह मंदी एक डेढ़ साल तक रह करती रहीं। स्वाभाविकचौर पर उनके कोरोना उनकी निगरानी बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के खामियां गिनने और गिनाने का।इसी तरह यह सकती है, लेकिन उनसे सहमत नहीं हुआजा वायरस से संक्रमित पाए जाने की खबर वे सरकारों की कोशिश पर पानी फेरने का नाम संबोधन के जरिये 'जनता कपy का समय अपनी और साथ ही दूसरों की सेहत की सकता। कमजोर अथवा मंदी से ग्रस्त सामने आते ही हड़कंप मचा और उनके काम कर रहे हैं। ऐलान किया है। देशवासियों को संयम और चिंता करने का भी है और वह भी पूरी अर्थव्यवस्था को डिजिटल तकनीक के इस परिजनों परिचितों के साथ उन सबकी तलाश देश को कोरोना वावरस के संक्रमण के संकल्पशक्ति का परिचय देते हुए 'जनता सावधानी के साथ। एक तरह से अपना और युग में कहीं आसानी से पटरी पर लाया जा वजांच शुरू हुई, जो उन पार्टियों में गए थे, व्यापक फैलाव वाले तीसरे दौर में जाने से कपy को सफल बनाना ही होगा, क्योंकि दूसरों का बचाव करना हमारे अपने हाथ है। सकता है, लेकिन जिस वायरस का निदान जाहां कनिका गई थीं। इसमें दो राय नहीं कि रोकने के लिए वह सब कुछ बुद्धस्तर पर इसके अलावा और कोई उपाय नहीं। उन्हें किसी को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए नहीं, उससे उपजे सेहत के संकट से बचना कनिका की गैरजिम्मेदाराना हरकत ने एक किया जाना चाहिए, जो जरूरी है। इस इसके लिए भी तैयार रहना होगा कि 'जनता कि भारत में यह महामारी कम असर कठिन है और इसीलिए प्रधानमंत्री की इस बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। खारनाक वायरस के संक्रमण को रोकने में कपy का विस्तार भी करना पड़ सकता है। दिखाएगी। ईरान और इटली में जो हालात बात पर ध्यान देना जरूरी है कि सामाजिक दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक यह है कि सफलता तभी मिलेगी जब आम जनता भी शायद इसीलिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से बने, उनसे हमें चेत जाना चाहिए। इटली में रूप से अलग-अलग रहनाहीस महामारी से कनिका सरीखे लोगों की कमी नहीं। देश के सरकारी तंत्र का सहयोग करेगी। हर आम कुछ हफो संयम का परिचय देने की अपील जी की स्वास्थ्य सेवाएं कहीं बेहार हैं और बचने का कारगर उपाय है।


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